Thursday, August 18, 2011

इंकलाब...

ऐसे सत्य की तलाश में..
मुझे अंधेरे से लड़ना है,
बहुत दूर अकेले चलना है..
मैं जुगनुओं के पीछे नहीं,
मशाल बन अब ख़ुद जलना हैं...

हालात !

जब कभी रोना हुआ चुपचाप से,
हो गए आकर खड़े, बरसात में
भीड़ में, दफ्तर में, मुर्दे हर जगह
जी रहे हैं, मौत के हालात में....
अब यक़ीं आया उन्हें इस बात में
जल गया सारा शहर उस रात में.....