Friday, March 5, 2010

मैं हूं क्रांति...

देख मैं आ गया
तेरे आगोश में हलचल मचाने
आज तू न रोक मुझे
आज फिर मैं अलख जगाउंगा
आज फिर मैं रणभेदी बिगुल बजाउंगा
आसमान के इस पार से
उस पार तक मैं हुंकार मचाउंगा
मेरे गर्जन से कांप उठेगी आज धरती
पर्वतों का कलेजा आज होगा छलनी
नर और नारायण करेंगें मान-मनौव्वल
लेकिन मैं न रुकुंगा, क्योंकि....
मैं हूं क्रांति.......

Thursday, March 4, 2010

क्रांति.....

क्रांति के लिए खूनी लड़ाईयां जरूरी नहीं है और न ही इसमें व्यक्तिगत हिंसा के लिए कोई जगह है। वह बम और पिस्तौल का संप्रदाय भी नहीं है। क्रांति के मायने हैं- अन्याय और भ्रष्टाचार पर आधारित समाज में आमूल परिवर्तन।